Code of Conduct: आचार संहिता क्या होती है, चुनाव आते ही इसे लागू क्यों कर दिया जाता है?

01 Apr, 2024
Pintrest Code of Conduct: आचार संहिता क्या होती है, चुनाव आते ही इसे लागू क्यों कर दिया जाता है?

Code of Conduct: देश में चुनाव आयोग की तरफ से लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है। इस बार के लोकसभा चुनावों को भी 7 चरणों में करवाने का फैसला लिया गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की तरफ से की गई घोषणा के अनुसार पहले चरण में 102 सीटों पर 19 अप्रैल को, दूसरे चरण में 89 सीटों पर 26 अप्रैल को, तीसरे चरण में 94 सीटों पर 7 मई को, चौथे चरण में 96 सीटों पर 13 मई को, पांचवें चरण में  49 सीटों पर 20 मई को, छठे चरण में 57 सीटों पर 25 मई को और सबसे आखिर में सातवें चरण में 57 सीटों पर 1 जून को वोट डाले जाएंगे। इसके बाद 4 जून को चुनावों के नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे। 

चुनाव आयोग की तरफ की गई चुनावी तारीखों के एलान के साथ ही देशभर में आचार संहिता भी लागू हो गई है। आचार संहिता के बारे में सुना तो हर किसी ने होता है लेकिन हर किसी को इसके बारे ज्यादा जानकारी नहीं होती। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि आचार संहिता क्या होती है? इसे लागू कब किया जाता है और इसके लागू होने के बाद क्या-क्या नियम बदल जाते हैं और चुनावों पर इसका क्या असर पड़ता है। 

आचार संहिता क्या होती है?

देशभर में चुनाव को सही तरीके से करवाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। इसके लिए चुनाव आयोग की तरफ से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए कुछ नियम बनाए हैं और इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहा जाता है। चुनावों के दौरान सभी राजनीतिक दलों और नेताओं को इन सभी नियमों का पालन करना होता है। नियमों का उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग उनके खिलाफ कार्यवाई कर सकता है। 

आचार संहिता कब लागू होती है? 

देश में चुनाव आयोग जिस समय चुनावों की तारीख की घोषणा करता है उसी समय से आचार संहिता लागू हो जाती है। लोकसभा चुनाव पूरे देशभर में होते हैं तो उस समय देशभर में आचार संहिता लाग जाती है। विधानसभा चुनाव राज्य स्तर पर होते हैं तो आचार संहिता केवल राज्य स्तर पर ही लागू होती है। चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाने तक आचार संहिता लागू रहती है और जिस दिन ये प्रक्रिया समाप्त होती है आचार संहिता भी हट जाती है। 

आचार संहिता की विशेषताएं

आचार संहिता के नियम सुनिश्चित करते हैं कि राजनितिक दल, सत्ताधारी दल और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को इस पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना है। इसके साथ साथ बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिवस गतिविधियों तथा सत्ताधारी दल के कामकाज इत्‍यादि के दौरान उनका सामान्‍य आचरण कैसा होगा ये भी आचार संहिता के नियम ही तय करते हैं। 

सरकारी तंत्र के लिए क्या होते हैं नियम?

  • आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी मंत्री अपनी यात्रा को चुनावी प्रचार से नहीं जोड़ सकता। 
  • नेता या उम्मीदवार प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी या फिर सरकारी बंगले का इस्तेमाल नहीं कर सकते। 
  • किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के लिए आधिकारिक विमान, वाहन आदि सहित किसी भी परिवहन का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
  • चुनावी प्रक्रिया से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर प्रतिबंध रहता है. केवल चुनाव आयोग की इजाजत के बाद किसी अधिकारी का ट्रांसफर या प्रमोशन आवश्यक समझा जाए तो कर सकते हैं। 
  • सांसद अपनी निधि से किसी तरह का कोई भी फंड जारी नहीं कर सकते हैं। 
  • सरकारी खर्चे पर विज्ञापन नहीं करवाए जा सकते। 
  • किसी भी सरकारी योजना की घोषणा और शिलान्यास नहीं कया जा सकता। 

उम्मीदवारों और दलों के लिए क्या कहते हैं नियम?

  • नियमों के अनुसार, प्रचार प्रसार के दौरान कोई भी उम्मीदवार या पार्टी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए जिससे नफरत पैदा हो या दो समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बनें। 
  • प्रचार के दौरान उम्मीदवार या पार्टी को गलत आरोप लगाने से बचना चाहिए और निजी कमेंट भी नहीं करने चाहिए। 
  • प्रचार के लिए धार्मिक स्थलों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल नहीं कर सकते। 
  •  जाति या सांप्रदायिक भावनाओं को आधार बनाकर वोट देने के लिए अपील नहीं की जा सकती।
  • रैलियों और जुलूस के दौरान किसी दूसरे उम्मीदवार या राजनीतिक दल को दिक्कत या परेशानी नहीं होनी चाहिए।

 

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