Ambedkar Jayanti 2025: डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था। हर साल इसी दिन अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। डॉ. अंबेडकर ने समानता है लिए लंबा संघर्ष किया है। उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। उन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था जिनमें हिन्दी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, पर्शियन और गुजराती शामिल हैं। वह 64 विषयों में मास्टर थे। उनका एक निजी पुस्तकालय था जिसमें 50,000 से भी अधिक किताबें थीं। इस पुस्तकालय का नाम ‘राजगृह’ था। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बहुत पुस्तक लिखी हैं। उनके द्वारा पुस्तकें पाठकों को काफी पसंद आती हैं। आइए जानते हैं उनकी कुछ पुस्तकों के बारे में।
‘जाति का विनाश’ पुस्तक में डॉ. अंबेडकर ने जाति व्यवस्था पर प्रहार किया है। जाति व्यवस्था का बहुत बारीकी से विश्लेषण किया जाता है। इसमें उन्होंने जाति व्यवस्था के दुष्प्रभावों के बारे में बताया है तथा जाति व्यवस्था को समाप्त करने के सुझाव दिए। इसके अलावा उन्होंने जाति व्यवस्था पर ‘भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण’ (1916), ‘शूद्र कौन और कैसे’ (1948), ‘मि. गांधी एवं अछूतों की विमुक्ति’ (1942), और ‘भारत में जाति प्रथा’ जैसी पुस्तकें लिखी हैं।
बौद्ध धर्म पर भी डॉ. भीमराव अंबेडकर ने पुस्तकों के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने ‘भगवान बुद्ध और उनका धर्म’ (1957) लिखी है। इसमें उन्होंने बौद्ध धर्म के बारे में और गौतम बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में बताया गया है। इसके अलावा उन्होंने ‘बुद्ध या कार्ल मार्क्स’(1956) पुस्तक की रचना भी की है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने ‘भारत का राष्ट्रीय अंश’(1916), ‘भारत में लघु कृषि और उनके उपचार’ (1917), ‘ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त विकेंद्रीकरण’ (1921),’ रुपये की समस्या उद्भव और समाधान’ (1923), ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय’ (1925), ‘संघ बनाम स्वतंत्रता’ (1939), ‘रानाडे, गांधी और जिन्ना’ (1943), ‘कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के लिए क्या किया’ (1945), ‘पाकिस्तान पर विचार’ (1940), ‘पाकिस्तान या भारत का विभाजन’ (1945), ‘राज्य और अल्पसंख्यक’ (1947)
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने साप्ताहिक समाचार पत्र भी निकाले जिनमें ‘मूल नायक” (1920), ‘बहिष्कृत भारत’ (1927) और ‘जनता’ (1930) प्रमुख था। जनता लंबे समय तक चलता रहा। इसके बाद इसका नाम बदलकर प्रबुद्ध भारत रख दिया गया।