Chaitra Navratri 2024 Day 7: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। कालरात्रि अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं। मां दुर्गा का यह रूप भयानक है। शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। मां कालरात्रि की चार भुजाएं हैं। एक हाथ वरमुद्रा में हैं और दूसरा हाथ अभय मुद्रा मंे हैं। मां के एक हाथ में खड्ग तो एक हाथ में कंटीला है। मां के बाल खुले और बिखरे हुए हैं। मां का वाहन गर्दभ है। आइए जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, आरती, मंत्र और बीज मंत्र।
मां कालरात्रि बीज मंत्र
क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
मां कालरात्रि मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार।
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा।
खड्ग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा।
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना।
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी।
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली मां जिसे बचावे।
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय।
मां कालरात्रि पूजा विधि
- नवरात्रि के सातवें दिन को महासप्तमी भी कहते हैं।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- स्वस्थ्य वस्त्र धारण करें।
- महासप्तमी की पूजा सुबह और रात्रि दोनों समय की जाती है।
- मां की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद घी का दीपक जलाएं।
- मां को रोली, अक्षत, गुड़हल का फूल अर्पित करें।
- इसके बाद मां को गुड़ का भोग लगाएं।
- मां की आरती करें।
- मां की आरती कपूर या दीपक से करें।
- मां के मंत्रों का जाप करें।