Mahaparinirvan Diwas 2024: हर साल 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ॰ भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली में हुआ था यह दिन भारतीय समाज सुधारक, संविधान निर्माता, और महान नेता डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है। “महापरिनिर्वाण” शब्द बौद्ध धर्म से लिया गया एक शब्द है। इसका अर्थ है आत्मा का अंतिम मोक्ष या निर्वाण। यह दिन डॉ. अंबेडकर के योगदान और उनके आदर्शों को याद करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन माध्यम से उनके विचारों को आत्मसात करने का अवसर प्राप्त होता है।
महापरिनिर्वाण महत्व और अर्थ
बौद्ध धर्म के अनुसार, ‘महापरिनिर्वाण’ आत्मा की उस स्थिति को दर्शाता है। जहां व्यक्ति मृत्यु के बाद जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। डॉ. अंबेडकर के जीवन और विचारों में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों की गहरी छाप मिलती है। अपने जीवन के अंतिम वर्षों में बौद्ध धर्म को अपनाया था। डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। उन्होंने मसौदा तैयार किया और सामाजिक समानता, शिक्षा और न्याय के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उन्होंने
जाति प्रथा और अस्पृश्यता जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई और समाज में समानता और बंधुत्व का प्रचार किया। अंबेडकर दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए एक शक्तिशाली आवाज थे और आज भी उनकी शिक्षाओं, विचारों और संघर्षों को याद किया जाता है।
कैसे मनाते हैं महापरिनिर्वाण दिवस?
मुंबई के दादर स्थित चैत्यभूमि पर हजारों लोग हर साल डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं। इस दिन देशभर में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण, सभाएं और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। इस दिन बौद्ध भिक्षु उनके जीवन से जुड़े उपदेश और धम्म प्रवचन करते हैं। कई सामाजिक संगठन इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करते हैं और उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। विद्यालयों और विश्व विद्यालयों में डॉ. अंबेडकर के आदर्शों पर आधारित निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और सामाजिक समानता के संदेश को फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।