Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2025: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने परिवार व संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए करती हैं। यह व्रत रखना काफी शुभ माना जाता है। इस व्रत को रखने से संकटों से मुक्ति मिलती है और गणेश जी का आशीर्वाद बना रहता है। आइए जानते हैं इस व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
- फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है।
- द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 16 फरवरी 2025 को रविवार के दिन रखा जाएगा।
- चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 15 फरवरी 2025, रात 11 बजकर 52 मिनट पर।
- चतुर्थी तिथि का समापन- 17 फरवरी 2025, रात 2 बजकर 15 मिनट पर।
- चंद्रोदय का समय- 16 फरवरी, रात 9 बजकर 51 मिनट तक।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व
फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश के द्विजप्रिय स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा की जाती है और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसा करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।