IAS Topper Success Story: मुसीबत के समय में इंसान या तो बिखर जाता है या निखर जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है डॉ. नितिन शाक्य की। पढ़ाई में एवरेज से भी कमज़ोर छात्र रहे नितिन को 12वीं कक्षा में स्कूल ने एडमिट कार्ड देने से भी इंकार कर दिया था। यहीं से नितिन के जीवन में संघर्ष की शुरुआत हुई जिसके बाद उन्होंने MBBS की डिग्री हासिल की, फिर एनेस्थीसिया में पोस्टग्रेजुएशन और अंत में UPSC परीक्षा में सफलता हासिल की। आइये इस वीडियो में जानते हैं उनके संघर्षपूर्ण सफर के बारे में:
नितिन पढ़ाई में इतने कमजोर थे कि उनकी प्रिंसिपल को लगता था कि अगर वे बोर्ड परीक्षा देंगे तो पक्का फेल होंगे और उनके स्कूल का नाम खराब होगा। इसी कारण से स्कूल वालों ने उन्हें एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया था। तब नितिन की माँ ने स्कूल में रिक्वेस्ट की और तब उन्हें एडमिट कार्ड दिया गया। इस घटना से नितिन काफी प्रभावित हुए और आखिरकार उन्होंने स्ट्रेटजी बनाई और परीक्षा में बहुत कम दिन रह जाने के बावजूद इतनी मेहनत की कि न सिर्फ एग्जाम पास किया बल्कि कई विषयों में टॉप भी किया।
12वीं कक्षा में अच्छे अंक लाने के बाद नितिन ने PMT की एंट्रेंस परीक्षा दी और एक अच्छी रैंक हासिल की। इसके बाद उन्हें देश प्रतिष्ठित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया। MBBS की डिग्री हासिल करने के बाद नितिन ने एनेस्थीसिया में पोस्टग्रेजुएशन भी किया। हालांकि उनका यह सफर भी कुछ आसान नहीं था। नितिन की अंग्रेजी काफी कमज़ोर थी और इसी कारण उन्हें अक्सर कॉलेज में दूसरे लोगों से बात करने में संकोच होता था। फिर उन्होंने खुद को समझाया और हर एक्टिविटी में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। नितिन ने किसी भी परिस्थिति में खुद को कमज़ोर नहीं माना बल्कि डट कर उसका सामना किया।
अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान नितिन स्लम के बच्चों के इलाज के लिए जाते थे। यहाँ वह उन बच्चों को मुफ्त इलाज तो देते थे पर उन्हें आभास हुआ कि उन बच्चों को बेहतर शिक्षा और अन्य सुविधाओं की भी ज़रूरत है। इस सब के लिए उन्हें डॉक्टर के साथ-साथ प्रशासन की मदद की भी ज़रूरत थी। नितिन के मन में यहीं से एक IAS अधिकारी बनने का ख्याल आया। वह IAS बन कर देश के गरीब लोगों के जीवन में सुधार लाना चाहते थे।
नितिन की तैयारी की शुरुआत तो अच्छी हुई पर फिर वे लगातार फेल होते गए। पहले प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा पास कर ली परन्तु फाइनल रिजल्ट में केवल 10 नंबर से उनका सिलेक्शन नहीं हो सका। पहले ही प्रयास में दोनों स्टेज क्लियर करने से उनका आत्म विश्वास बढ़ा और उन्हें लगने लगा की UPSC परीक्षा उतनी कठिन नहीं है जैसा की अक्सर कहा जाता है।
इसके बाद दूसरे प्रयास में नितिन मेंस परीक्षा पास नहीं कर सके और तीसरे प्रयास में वह प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर सके थे। तीन असफल प्रयास के बाद वे हार मान चुके थे और उन्हें लगा कि सिविल सेवा उनके लिए नहीं है। हालांकि परिवार के प्रोत्साहन से उन्होंने एक बार फिर प्रयास करने का फैसला किया। इस बार नितिन ने खूब मेहनत की और 2018 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर अपना सपना पूरा किया।