International Labour Organization: श्रमिक किसी भी देश के विकास और उसके निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। श्रमिकों को सम्मान दिलाने और उनकी दशा सुधारने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना की गई। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना 11 अप्रैल 1919 को हुई थी। इसलिए हर साल 11 अप्रैल को इसकी स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह दिन शुक्रवार, 11 अप्रैल को मनाया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना दिवस श्रमिकों को सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में वैश्विक प्रयासों को याद करने का दिन है। यह दिवस हमें सोचने पर मजबूर करता है कि एक बेहतर कार्यस्थल न केवल श्रमिकों बल्कि समाज और देश की प्रगति के लिए कितना जरूरी है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और उद्देश्य।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के बाद हुई। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना को 1946 में विशेष संस्था का दर्जा मिला। यह अब भी संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी और सक्रिय एजेंसियों में से एक है। जो आज भी दुनियाभर में श्रमिकों के लिए मदद का हाथ बढ़ा रही है। यह समय ऐसा था कि दुनिया भर में श्रमिकों की स्थिति को बेहतर बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। इसे लीग ऑफ नेशंस की एक एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना। उन्हें मूलभूत सुविधाएं देना। काम का समय और शर्तें सुनिश्चित करना। श्रमिकों के लिए सामाजिक न्याय और आर्थिक अवसरों को बढ़ाना।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का बहुत महत्व है। इस दिन के माध्यम से श्रमिकों के अधिकारों, समान अवसरों, और कार्यस्थल पर न्याय को बढ़ावा देने की प्रेरणा मिलती है। यह संगठन के माध्यम से बाल श्रम, बंधुआ मजदूरी और असमानता के खिलाफ कार्य करने का अवसर मिलता है। इस दिन के माध्यम से विश्व स्तर पर श्रमिक नीतियों और कानूनों को आकार देना है। यह दिन न्यूनतम वेतन, कार्यस्थल सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा की वकालत करना है। दुनिया के कई देशों में इस दिन को मनाया जाता है और इसके तहत श्रम कानूनों में सुधार करते हैं।