International Mother Language Day 2025: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हर साल 21 फरवरी को मनाया जाता है। यह दिन भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने और विभिन्न भाषाओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान, संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे संरक्षित करना हमारी ज़िम्मेदारी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी अपनी मातृभाषा पर गर्व कर सकें और भाषाई विविधता को बनाए रख सकें।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास
यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया। इसके बाद 2000 से इसे विश्व स्तर पर मनाया जाने लगा। दरअसल इस दिवस की शुरुआत बांग्लादेश की पहल से हुई थी। 1952 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोग अपनी मातृभाषा बंगाली को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 21 फरवरी 1952 को इस आंदोलन के दौरान कई छात्रों और कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। उनके बलिदान को सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाने लगा।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2025 की थीम
हर साल यह दिवस एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है। यह आमतौर पर भाषाई विविधता, शिक्षा में मातृभाषा की भूमिका और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी होती है। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2025 का थीम “भाषा का महत्वः अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का रजत जयंती समारोह” है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का बहुत महत्व होता है। यह दिवस दुनिया भर में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं के महत्व को उजागर करता है। शोध बताते हैं कि बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करके जल्दी सीखते हैं और बेहतर समझ विकसित करते हैं। भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपराओं को आगे बढ़ाने का जरिया भी है। जब लोग अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति कर पाते हैं, तो वे समाज में अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं।
कैसे मनाया जाता है यह अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भारत के कई देशों में मनाया जाता हैं। इस दिन शिक्षण संस्थानों में भाषाई जागरूकता अभियान और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों और साहित्यिक चर्चाओं का आयोजन किया जाता है। मातृभाषा में पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाई जाती हैं। विभिन्न भाषाओं और बोलियों को संरक्षित करने के लिए शोध और अध्ययन किए जाते हैं।