Kalashtami 2022: कालाष्टमी में जानें-भैरव देव की पूजा की विधि और महत्व, साथ ही जाने इस दिन व्रत रखने से क्या लाभ होता है- Watch Video

23 Feb, 2022

Kalashtami 2022: 23 फरवरी यानी आज कालाष्टमी है। इस दिन भगवान शिव जी के क्रुद्ध स्वरूप काल भैरव देव की पूजा-उपासना की जाती है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि काल भैरव देव की भक्ति भाव से पूजा-उपासना करने पर जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुःख और क्लेश दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में यश और कीर्ति का आगमन होता है। साथ ही इस दिन मां आदि शक्ति की भी पूजा करने का विधान है। अघोरी समाज इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाता है। ऐसी मान्यता है कि तांत्रिक साधक जादू-टोने की सिद्धि कालाष्टमी की रात्रि में ही करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि विधि पूर्वक कालाष्टमी का व्रत करने से व्रती के जीवन से दुःख, दरिद्र, काल और संकट दूर हो जाते हैं।

कालाष्टमी का महत्व जानिए-

इस दिन शिवालय और मठों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान शिव जी के स्वरूप काल भैरव देव का आह्वान किया जाता है। खासकर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा-आराधना की जाती हैं। साथ ही महाभस्म आरती की जाती है। जबकि शिव जी के उपासक अपने घरों में ही उनकी पूजा कर उनसे यश, कीर्ति, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।

पूजा विधि :

इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नान-ध्यान कर व्रत संकल्प लें। इसके लिए पवित्र जल से आमचन करें। अब सर्वप्रथम सूर्य देव का जलाभिषेक करें। इसके पश्चात भगवान शिव जी की पूजा जथा शक्ति तथा भक्ति के भाव से करें। आप भगवान शिव जी के स्वरूप काल भैरव देव की पूजा पंचामृत, दूध, दही, बिल्व पत्र, धतूरा, फल, फूल, धूप-दीप आदि से करें। अंत में आरती अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं प्रभु से जरूर कहें। दिन में उपवास रखें। जबकि शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें। इसके अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ के बाद व्रत खोलें।

 

 

Related videos

यह भी पढ़ें

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.Accept
BACK