लखनऊ(यूपी): राजधानी लखनऊ से सटे ग्रामीण परिवेश वाले मोहनलालगंज जलस्तर अब शहर ही नहीं गांवों में भी तेजी से गिर रहा है। जलस्तर गिरने से जहां मलिहाबाद, माल से लेकर बीकेटी तक फैले आम के बागों की मुस्कान चली गई। बाग सूखने लगे हैं। वहीं मोहनलालगंज और गोसाईंगंज जैसे कई इलाकों में सिंचाई की व्यवस्था न होने से फसल पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। सरकार की नई नहर खोदने की योजनाएं धरती पर आकार नहीं ले पा रही हैं। मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र के गोसाईंगंज स्थित ग्राम किनौना में इन्हीं समस्याओं को लेकर दैनिक जागरण की ओर से चुनावी चौपाल का आयोजन किया गया और गांव के मुद्दों को जोर शोर से उठाया गया।
मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र जिसकी अर्थ व्यवस्था और मतदाताओं का जीवन यापन कृषि पर ही निर्भर है। वहां खेतों की सिंचाई और बागों को बचाने के लिए कई दशक से सरकारी प्रयास नहीं किए गए। मोहनलालगंज, मलिहाबाद, माल, गोसाईंगंज, सरोजनीनगर, चिनहट, काकोरी और बीकेटी जैसे बड़े क्षेत्र से केवल 962 किलोमीटर लंबी नहर गुजरती है। राजकीय नलकूप की संख्या 339 है।
जलस्तर गिरने से जहां मलिहाबाद, माल से लेकर बीकेटी तक फैले आम के बागों की मुस्कान चली गई। बाग सूखने लगे हैं। वहीं मोहनलालगंज और गोसाईंगंज जैसे कई इलाकों में सिंचाई की व्यवस्था न होने से फसल पर इसका प्रभाव पड़ रहा है। सरकार की नई नहर खोदने की योजनाएं धरती पर आकार नहीं ले पा रही हैं। दुलारमऊ माइनर, तिकनिया मऊ माइनर और हबुआपुर ग्राम सभा के तीन गांवों के लिए माइनर को बनाने का काम अधूरा पड़ा है।