Shab-e-Barat 2025: शब-ए-बारात इस्लाम में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूरी रात इबादत की जाती है। इस रात को मगफिरत की रात भी कहा जाता है। इस यह रमजान के 14 दिन पहले मनाया जाता है। यह इस्लामी कैलेंडर के शबान महीने की की 15वीं तारीख को मनाया जाता है। रमजान महीने की तरह ही माह-ए-शाबान को भी बेहद पाक और मुबारक महीना माना जाता है।इस पूरी रात यह कैलेंडर का आठवां महीना होता है। इस रात लोग कब्रिस्तान जाते हैं। इस साल 13 फरवरी को शब-ए-बारात मनाई जाएगी। जानें क्यों होता है यह महीना खास।
कैसे मनाते हैं शब-ए-बारात
शब-ए-बारात मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बेहद खास मानी जाती है। इस पूरी रात लोग इबादत करते हैं। नमाज और कुरान पढ़ते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। वहीं इसके अगले दिन रोजा रखा जाता है। यह रात इसलिए भी खास मानी जाती है क्योंकि इस रात अल्लाह सबकी दुआ कबूल करता है। जो लोग इस दुनिया से जा चुके हैं वो लोग उनके लिए भी दुआएं करते हैं और उनकी कब्रों पर जाते हैं। इस रात लोगों के आमाल रब की बारगाह में पेश होते हैं।
शब-ए-बारात का महत्व
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है। इस रात लोग सभी को खाना बांटते हैं। इस रात को घरों और मस्जिदों को सजाया जाता है। रिश्तेदारों और दोस्तों को मिठाइयां बांटी जाती है। इसे रात-ए-निजात भी कहा जाता है, क्योंकि इस रात को अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने और भविष्य के लिए रहमत की दुआ की रात होती है। इस रात अल्लाह तआला लोगों की तकदीर लिखते हैं और अपने बंदों की दुआएं कबूल करते हैं। इसलिए, शब-ए-बारात को आत्मशुद्धि, क्षमा और आध्यात्मिक उत्थान की रात के रूप में मनाया जाता है। यह रात अपने रिश्तों को सुधारने, दिलों से नफरत को मिटाने और अपने अपनों से मोहब्बत करने का मौका प्रदान करती है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट और अन्य माध्यमों की मदद से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।