Shani Jayanti 2025 Date : शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस दिन शनि देव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। शनि जयंती पर उनका पूजन करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। शनि देव सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र है वह यम और यमुना के भाई हैं। इसलिए यह दिन शनि देव को समर्पित है। साढ़ेसाती, ढैय्या और पनौती से पेरशान व्यक्ति इस दिन का इंतजार करते हैं। हर व्यक्ति को उसके कर्म के आधार शनि देव शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
शनि जयंती 2025 तिथि
- ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है।
- अमावस्या तिथि की शुरुआत- 26 मई दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी।
- अमावस्या तिथि का समापन- 27 मई सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर होगा।
- इस साल शनि जयंती 27 मई को मनाया जाएगा।
शनिदेव पूजा विधि
- शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें।
- स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद घर और मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें।
- काले रंग के वस्त्र पर शनि देव की तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बाद पंचगव्य, पंचामृत आदि से स्नान कराएं।
- इसके बाद कुमकुम और काजल लगाएं।
- सरसों के तेल का दिया जलाएं और तेल चढ़ाएं।
- इसके बाद धूप जलाएं।
- इसके बाद तेल से बनी मिठाई को भोग लगाएं।
- पूजा के समय शनि मंत्र का जाप करें।
- शनि चालीसा का पाठ करें और आरती करें।
शनि जयंती का महत्व
शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा करने से जीवन में आ रही समस्याओं का नाश होता है, बाधाएं दूर होती हैं और शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनि जयंती भगवान शनि के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है। शनिदेव की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान लोगों को इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। वहीं शनि देव को प्रसन्न करने के लिए तेल और काले तिल चढ़ाना चाहिए। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।