Sheetala Saptami 2025 Date: शीतला सप्तमी का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। माता शीतला को स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। यह व्रत सप्तमी तिथि से लेकर अष्टमी तिथि तक चलता है। अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी कहा जाता है। माता की उपासना से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलती है। कहा जाता है कि मां की पूजा से मानसिक, शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। माता शीतला को संक्रामक रोगों और बीमारियों से सुरक्षा देने वाली देवी माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
शीतला सप्तमी व्रत की तिथि
- चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाएगा।
- सप्तमी तिथि की शुरुआत- 21 मार्च रात 2 बजकर 45 मिनट से।
- सप्तमी तिथि का समापन- 22 मार्च सुबह 4 बजकर 23 मिनट तक।
- शीतला सप्तमी का व्रत शुक्रवार 21 मार्च को रखा जाएगा।
- पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 24 मिनट से शाम 6 बजकर 33 मिनट तक।
शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त
- चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी है।
- शीतला अष्टमी की शुरुआत- 22 मार्च सुबह 4 बजकर 23 मिनट से बजे से।
- शीतला अष्टमी का समापन- 23 मार्च सुबह 5 बजकर 23 मिनट से तक।
- शीतला अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 23 मिनट से शाम 06 बजकर 33 मिनट तक।
शीतला सप्तमी की पूजा विधि
- शीतला सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठें।
- इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन घर और मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें।
- इसके बाद मां लाल वस्त्र बिछा दें।
- लाल वस्त्र पर माता शीतला की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद मां को जल अर्पित करें।
- इसके बाद हल्दी, चंदन, सिंदूर से मां का श्रृंगार करें।
- इसके बाद मां को लाल फूल अर्पित करें।
- धूप और दीप जलाएं।
- मां को श्रीफल और चने की दाल का भोग लगाएं।
- इस दिन मां को बसौड़े (गुड़-चावल या गन्ने के रस की खीर) का भोग लगाते हैं।
- अंत में आरती करें।