Dussehra 2020: आज पूरा देश दशहरा मना रहा है। दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत की जात के प्रतीक में देखा जाता है। दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। दशहरा, Diwali से 20 दिन पहले मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि को दशहरा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन शस्त्र पूजा का महत्व है। इस कई लोगों अपने शस्त्र की पूजा करते हैं। अश्विन मास (ahvin Maas) के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि (Dashmi Tithi) को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है । दशहरा साल की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है। दशहरा (Dussehra) के दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया काम शुरू करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो काम आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना की वजह से भीड़ इकट्ठा होना थोड़ा मुश्किल है।
दशहरे की पूजा विधि
दशहरे के दिन शस्त्र पूजा के विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए इस दिन श्रत्रिय लोग शस्त्र पूजा करते हैं। इस दिन शस्त्रों के पूजा से पहले इन्हें पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर रख दिया जाता है और उसके बाद सभी शस्त्रों पर गंगाजल छिड़का जाता है। गंगाजल छिड़कने के बाद शस्त्रों पर हल्दी और कुमकुम का तिलक किया जाता है और उन पर फूल अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद शस्त्रों पर शमी के पत्तों को अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि दशहरे के दिन शमी के पत्ते शस्त्रों पर अर्पित करना बहुत ही शुभ होता है। पूजा के बाद शस्त्रों को प्रणाम करें और भगवान श्री राम का ध्यान करें। इसके बाद शस्त्रों को अपने स्थान पर ही रख दें और शमी के पेड़ की पूजा अवश्य करें