Happy Dasara Wishes 2020: दशहरा (Dussehra) - दशहरा (Dussehra) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि (Dashmi Tithi) को दशहरा का त्योहार (Dussehra Festival) मनाया जाता है। इस बार अधिकमास की वजह से दशहरा 26 अक्टूबर को है। शुभ मुहूर्त (Dussehra 2020 Shubh Muhurat) दोपहर 2 बजकर 05 मिनट से दोपहर 02 बजकर 52 मिनट तक दशमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 07 बजकर 41 मिनट से (25 अक्टूबर 2020) दशमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 9 बजे तक (26 अक्टूबर 2020) है। दशहरा (Dussehra) बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। अश्विन मास (ahvin Maas) के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि (Dashmi Tithi) को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के बाद महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है । दशहरा साल की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है। दशहरा (Dussehra) के दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया काम शुरू करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो काम आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना की वजह से भीड़ इकट्ठा होना थोड़ा मुश्किल है। दशहरा (Dussehra) अथवा विजयदशमी (Vijaydashmi) हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
दशहरा एक ऐसा त्योहार है जिसको लोग अपने पूरे परिवार के साथ मनाते हैं। इस दिन लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को खुश रहने की कामना करते हैं। इसके साथ ही शुभकामना संदेश भेजते हैं। यहां इस लेख में हम कुछ चुनिंदा शुभकामना संदेश और फोटो आपके लिए लेकर आए हैं जिन्हें आप भी अपने करिबियों को भेजकर शुभकामना संदेश दे सकते हैं।
इससे पहले की दशहरे की शाम हो जाए,
मेरा मैसेज औरों की तरह आम हो जाए,
सारे मोबाइल नेटवर्क जाम हो जाएं,
और दशहरा विश करना आम हो जाए
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
बुराई का होता है विनाश, दशहरा लाता है उम्मीद की आस,
रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
अधर्म पर धर्म की जीत
अन्याय पर न्याय की विजय
बुरे पर अच्छे की जय जयकार
यही है दशहरा का त्योहार।
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
फूल खिले खुशी आप के कदम चूमे,
कभी ना हो दुखों का सामना,
धन ही धन आए आप के अंगना,
यही है दशहरे के शुभ अवसर पर मनोकामना।
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं
दशहरा 2020 तिथि (Dussehra 2020 Tithi)
26 अक्टूबर 2020 दशहरा 2020
शुभ मुहूर्त (Dussehra 2020 Shubh Muhurat) -
विजय मुहूर्त - दोपहर 2 बजकर 05 मिनट से दोपहर 02 बजकर 52 मिनट तक
दशमी तिथि प्रारम्भ - सुबह 07 बजकर 41 मिनट से (25 अक्टूबर 2020)
दशमी तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 9 बजे तक (26 अक्टूबर 2020)
दशहरा का महत्व (Dussehra Ka Mahatva)
शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि (Dashmi Tithi) को दशहरा का त्योहार (Dussehra Festival) मनाया जाता है। इस त्योहार को बुराई की हार और अच्छाई की जीत के रूप मे मनाया जाता है। दशहरे (Dussehra) का सांस्कृतिक पहलू भी है। भारत कृषि प्रधान देश है। जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है तो उसके उल्लास और उमंग का पारावार नहीं रहता। इस प्रसन्नता के अवसर पर वह भगवान की कृपा को मानता है और उसे प्रकट करने के लिए वह उसका पूजन करता है। शास्त्रों के अनुसार दशहरे के दिन ही भगवान श्री राम (Bhagvan shri Ram ) ने अहंकारी रावण का वध किया था और पृथ्वीं को उसके पापों से मुक्ति दिलाई थी। रावण के दस सिरों वाले रावण को मारा था। इसी कारण से इस त्योहार को दशहरा (Dussehra) के नाम से जाना जाता है। दशहरे से नौ दिन पहले यानी नवरात्रि पर जगह-जगह रामलीला का आयोजन किया जाता है। दशहरे (Dussehra) के दिन रावण के साथ मेघनाद और कुंभकर्म (Meghnad Kumbhkarm) के पुतले फूंक कर लोगो को बुराई पर अच्छाई की जीता का संदेश दिया जाता है। इसी वजह से दशहरे (Dussehra) को विजयदशमी (Vijaydashmi) के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं दशहरे पर कई जगह मेले का आयोजन भी किया जाता है। भारत में दशहरे के त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन उत्तर भारत में दशहरे को अधिक महत्व दिया जाता है।
दशहरे की पूजा विधि (Dussehra Puja Vidhi)
दशहरे के दिन (Dussehra Ke din ) शस्त्र पूजा (shastr Puja) के विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए इस दिन श्रत्रिय लोग शस्त्र पूजा करते हैं। इस दिन शस्त्रों के पूजा से पहले इन्हें पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर रख दिया जाता है और उसके बाद सभी शस्त्रों पर गंगाजल(shastron par gangajal) छिड़का जाता है। गंगाजल छिड़कने के बाद शस्त्रों पर हल्दी और कुमकुम का तिलक किया जाता है और उन पर फूल अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद शस्त्रों पर शमी के पत्तों को अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि दशहरे के दिन (Dussehra Ke din ) शमी के पत्ते (shami Ke patton) शस्त्रों पर अर्पित करना बहुत ही शुभ होता है।
दशहरा की कथा (Dussehra Ki Katha)
वाल्मिकी रामायण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्री राम (Bhagavaan Shree Raam) को अपने पिता के वचन के कारण चौदह वर्ष के वनवास पर जाना पड़ा था। भगवान श्री राम (Bhagavaan Shree Raam) के साथ वनवास पर माता सीता और उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी गए थे। एक बार वन में भगावान श्री राम देखकरर रावण की बहन सूर्पनखा उन पर अत्यंत ही मोहित हो उठी। जिसके बाद वह एक सुंदरी का रूप बनाकर भगवान श्री राम के पास गई और उनसे अपने साथ विवाह करने के लिए कहा। भगवान श्री राम (Bhagavaan Shree Raam) ने सूर्पनखा (Soorpanakha) से बड़ी ही विनम्रता पूर्वक कहा कि वह उनसे विवाह नहीं कर सकते। क्योंकि वह अपनी पत्नी को वचन दे चुके हैं कि वह किसी और से कभी भी विवाह नहीं करेंगे। जब भगवान श्री राम (Bhagavaan Shree Raam) ने सूर्पनखा (Soorpanakha) से विवाह के लिए मना कर दिया तो वह लक्ष्मण (Lakshman) के पास गई और उसने लक्ष्मण (Lakshman) के सामने भी यही प्रस्ताव रखा। लक्ष्मण (Lakshman) ने भी सूर्पनखा (Soorpanakha) से विवाह के लिए मना कर दिया। लेकिन सूर्पनखा लक्ष्मण से विवाह के लिए जिद्द करने लगी। जब सूर्पनखा (Soorpanakha) ने लक्ष्मण की बात नहीं मानी तो लक्ष्मण ने सूर्पनखा (Soorpanakha) की नाक को काट दिया। सूर्पनखा (Soorpanakha) रोती हुई अपने भाई लंका पति रावण (Lanka Pati Ravan) के पास पहुंच गई और उसे सारा वृतांत सुनाया। इसके बाद रावण (Ravan) एक साधु का भेष बनाकर माता सीता के पास गया और छोखे से उनका हरण कर लिया। इसके बाद भगवान श्री राम (Bhagavaan Shree Raam) के परमभक्त हनुमान जी (Hanuman ji) ने लंका जाकर माता सीता को खोज निकाला। सभी ने रावण को समझाया की वह सम्मान के साथ माता सीता को श्री राम को सौंप दे। लेकिन वह अपने अंहकार में इतना अधिक डूबा हुआ था कि उसने किसी की भी एक न सुनी। इसके बाद राम और रावण का बहुत ही भंयकर युद्ध हुआ। जिसमें भगवान श्री राम (Bhagavaan Shree Raam) ने रावण को मार दिया। जिस दिन रावण का वध हुआ था। उस दिन शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि (Shaaradeey navaraatri kee dashamee tithi) थी। इसलिए इस त्योहार को दशहरा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन को उत्तर भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिसमें लोगों को बुराई पर अच्छाई का संदेश दिया जाता है। रावण के साथ- साथ इस दिन कुंभकर्ण और मेघनाथ के भी पुतले फूंके जाते हैं। नवरात्रि के पूरे नौ दिन रामलीला का कार्यक्रम चलता है और दशमी तिथी को रावण दहन किया जाता है।
भगवान राम की आरती (Lord Rama Aarti)
आरती कीजै रामचन्द्र जी की। हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥ पहली आरती पुष्पन की माला। काली नाग नाथ लाये गोपाला॥ दूसरी आरती देवकी नन्दन। भक्त उबारन कंस निकन्दन॥ तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे। रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥ चौथी आरती चहुं युग पूजा। देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥ पांचवीं आरती राम को भावे। रामजी का यश नामदेव जी गावें॥