National Emergency: साल 1975, 25 जून की रात भारत के इतिहास में कभी भुलाई नहीं जा सकती है। यह वही दिन है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा की थी और उसी समय से वो भारतीय राजनीति का काला इतिहास बन गया। इंदिरा गांधी के इस फैसले को आज 49 साल पूरे हो गए लेकिन आज भी ‘इमरजेंसी’ की गूंज को भारतीय राजनीति में सुना जा सकता है। सत्ता की गद्दी खोने के डर से इंदिरा गांधी के अनुरोध पर उस समय के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देशभर में अनुछेद 352 के तहत आपातकाल को मंजूरी दे दी थी। देश में 21 महीनों तक इंमरजेंसी लगी थी और उसके बाद साल 1977, 21 मार्च इसे हटा दिया गया। ‘इमरजेंसी’ के दौरान देश में रह रहे सभी लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन शुरू हो गया। बताया जाता है कि उस समय इंदिरा गांधी का दबदबा चरम पर था।
देश में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी ये बात तो हर किसी को पता है लेकिन हर किसी के मन में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर इंदिरा गांधी ने क्यों लगाई थी इमरजेंसी। साल 1971 में लोकसभा चुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस को भारी मतो से जीत मिली थी। लेकिन इसी चुनाव में धांधली को लेकर इंदिरा गांधी पर एक मामला कोर्ट में चल रहा था। जिसका फैसला इलाहबाद हाई कोर्ट ने आया 12 जून 1975 को सुनाया और इंदिरा गांधी को दोषी पाया गया। सजा के तौर पर इंदिर को 6 साल की जेल और किसी भी पद पर रहने के लिए प्रतिबंध लगा।
इंदिरा गांधी की तरफ से इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जिसमें उन्हें पद पर बने रहने की अनुमति तो मिल गई लेकिन दोषी पाए जाने की वजह से 6 साल की जेल हुई। सत्ता की कुर्सी हाथ से जाने के डर से इंदिरा ने 25 जून,1975 की रात को आपातकाल की घोषणा की थी।
राष्ट्रपति से उनके इस फैसले पर मंजूरी मिल जाने के बाद 25 जून,1975 की रात को रेडियो आकाशवाणी के जरिए देश की जनता के आगे इसका एलान किया। आपातकाल की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, "जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के हित में कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही है।"