Lok Sabha Election 2024: देश में लेकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद राजनीतिक मंच सज चुका है। राजनीति के बड़े बड़े महारथी एक बार फिर से चुनावी मैदान में एक दूसरे के खिलाफ सामने खड़े नजर आएंगे। सभी दल अपने पूरे दम के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। भारतीय राजनीति में कुछ कद्दावर नेता ऐसे भी रहे हैं जो अपनी चुनावी पारी के दौरान एक भी लोकसभा चुनाव नहीं हारे हैं। उनका चुनावी मैदान में उतरने का मतलब जीत पक्की मानी जाती रही है। तो चलिए जानते हैं एसे पांच दिग्गज नेताओं के बारे में जो आजतक कभी भी लोकसभा का चुनाव नहीं हारे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं की लिस्ट में एक नाम लाल कृष्ण अडवाणी का है। आज बीजेपी को हम सत्ता पर काबिज देख रहे हैं इसके पीछे अडवाणी की बेजोड़ मेहनत है। एक वक्त जब देशभर में कांग्रेस की सत्ता थी तब हिंदुत्व के मुद्दे के साथ बीजेपी को जनता के बीच लाने में अडवाणी का अहम योगदान रहा है। 1986 से लेकर 1991 तक अडवाणी ने पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कामकाज संभाला। 8 नवंबर 1928 को जन्में अडवाणी ने अपना पहला लोकसभा का चुनाव 1989 में नई दिल्ली से लड़ा और अपना आखिरी लोकसभा चुनाव 2014 में लड़ा। इसके बीच में उन्होंने 6 लोकसभा चुनाव लड़े और सभी में जीत हासिल की है।
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार को एक बड़ा नाम माना जाता है। केंद्र में रहते हुए उन्होंने रक्षा मंक्षी और कृषि मंत्री का पद भी संभाला है। साल 1999 में कांग्रेस को छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी एनसीपी बनाई। 1984 में उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव महाराष्ट्र के पुणे की बारामती सीट से लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद साल 2009 तक वो लोकसभा के सांसद रहे और अब राज्यसभा के सदस्य हैं। पवार ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी लोकसभा चुनाव में हार का सामना नहीं किया।
भारत की कद्दावर महिला नेताओं में शामिल सुमित्रा महाजन ने भी आजतक कोई लोकसभा का चुनाव नहीं हारी हैं। साल 1989 में इंदौर की सीट से पहले लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराया और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इंदौर में ये सुमित्रा दीदी और सुमित्रा ताई के नाम से जानी जाती हैं। साल 2014 में वो निर्विरोध लोकसभा की अध्यक्ष भी चुनी गईं थीं।
सलाहुद्दीन औवेसी मौजूदा एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी के पिता थे। तेलंगाना के कद्दावर नेताओं में शामिल सलाहुद्दीन भी अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कोई भी लोकसभा का चुनाव नहीं हारे और अपने क्षेत्र में उनका दबदाबा माना जाता था। पिता की मृत्यु के बाद सलाहुद्दीन औवेसी ने पार्टी की जिम्मेदारी संभालते हुए अध्यक्ष पद संभाला और पार्टी को आगे लेकर गए। 1984 में पहली बार हैदराबाद से चुनाव में जीत हासिल करने के बाद साल 2004 तक वो लगातार वहां से सासंद रहे।
मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर लोकसभा के अध्यक्ष रह चुके दिग्गज नेता पीए संगमा को अपने राजनीतिक सफर में कभी भी लोकसभा चुनाव में हार का सामना नहीं करना पड़ा। आठ बार लोकसभा के सदस्य रहे संगमा ने अपना पहला चुनाव साल 1977 में मेघालय की तुरा सीट से लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वो मृत्यु तक तुरा के सांसद रहे। साल 2017 में उन्हें मरणोंपरांत भारत सरकार की तरफ से पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
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