Lal Bahadur Shastri Quotes: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में हुआ था। उन्होंने ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा दिया था। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री पद संभाला था। वह 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री बने थे। वह लगभग 18 महीने ही भारत के प्रधानमंत्री रहे। आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री के ऐसे विचार जो सफलता का मार्ग दिखाएंगे और आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।
अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत होती है।
हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है, लोगों में एकता स्थापित करना।
जय जवान जय किसान
यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत का सिर शर्म से झुक जाएगा।
हम खुद के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।
देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाए गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
आजादी का संरक्षण अकेले सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना है।
सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक साधनों से नहीं आ सकते हैं।
कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने।
हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है, लोगों में एकता स्थापित करना।
जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्तव्य होता है।
हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।
हमें शांति के लिए उतनी ही बहादुरी से लड़ना चाहिए, जितना हम युद्ध में लड़ते हैं।
मैं किसी दूसरे को सलाह दूं और मैं खुद उस पर अमल ना करू तो मैं असहज महसूस करता हूँ।
हम न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं।
हम स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं, प्रत्येक देश के लोगों के लिए आजादी, बाहरी हस्तक्षेप के बिना, अपने खुद की नियति बनाने के लिए स्वतंत्रता।
कानून के शासन का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की मूल संरचना को बनाए रखा जा सके और आगे बढ़ाया जा सके।
देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बिमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
हर कार्य की अपनी एक गरिमा है और हर कार्य को अपनी पूरी क्षमता से करने में ही संतोष प्राप्त होता है।
कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने।
शासन के मूल विचार, जैसा कि मैंने इसे देखा है, समाज में एकता रखनी है ताकि वह अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सके और आगे बढ़ सके।