Mithun Sankranti 2025: मिथुन संक्रांति की पूजा विधि, मंत्र, आरती और दान

15 Jun, 2025
Pinterest Mithun Sankranti 2025: मिथुन संक्रांति की पूजा विधि, मंत्र, आरती और दान

Mithun Sankranti 2025: मिथुन संक्रांति के दिन पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इसे सूर्य का राशि परिवर्तन भी कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। साथ दान पुण्य भी करना चाहिए। आइए जानते हैं पूजा विधि, मंत्र, आरती और इस दिन क्या करें दान

मिथुन संक्रांति पूजा विधि

  • मिथुन संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। 
  • इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है।
  • यदि ऐसा संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • इस दिन स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
  • एक तांबे के लोटे में जल लें। 
  • इस जल में लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाएं। 
  • इस जल से भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। 
  • जल देते समय ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।
  • इसके बाद विधिवत सूर्य देव की पूजा करें। 
  • सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित करें। 
  • इसके बाद धूप और दीप जलाएं। 
  • इस दिन सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • अंत में आरती करें। 

मिथुन संक्रांति के दिन दान

  • मिथुन संक्रांति के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। 
  • इस दिन गुड़, गेहूं, लाल मसूर की दाल, तांबे के बर्तन या लाल वस्त्र का दान करना चाहिए।
  • इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराना चाहिए।
  • इस दिन गाय को रोटी या गुड़ खिलानी चाहिए। 
  • जरूरतमंद लोगों को जल और छाता देना चाहिए। 

मंत्र

 
ॐ सूर्याय नमः
ॐ घृणि: सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ ह्रीं ह्रौं सूर्याय नमः
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

भगवान सूर्य देव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
 
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।
 

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