New Criminal Laws: देशभर में 1 जुलाई से कानून व्यवस्था में बड़ा बदलाव हो चुका है। कानून व्यवस्था को मजबूत करने की तरफ कदम बढ़ाते हुए सरकार की तरफ से तीन नए कानून लाए गए हैं। देशभर में एक जुलाई से आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू किए जा चुके हैं। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 1 जुलाई से जो भी एफआईआर दर्ज हो रही है वो नए कानूनों के तहत की जा रही है और इनमें कार्यवाई भी नए नियमों के तहत की जाएगी। लेकिन जो केस 1 जुलाई से पहले दर्ज किए गए हैं उनमें जांच पुराने कानून के तहत ही की जाएगी। नए कानूनों में कानून व्यवस्था को सुधारने और सही से संचालन करने के लिए आधुनिकता पर जोर दिया गया है। आइए कुछ मुख्य बिंदुओं से समझते हैं कि ने कानून लागू होने से क्या बदलाव आएगें।
- पहले सीआरपीसी में 484 दारएं थी लेकिन बदलाव के बाद अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं रखी गईं हैं। इसमें 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है, 9 नई धारओं के साथ 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं। इसके साथ ही 14 धाराओं को हटाया भी गया है।
- आईपीसी में पहले 511 धाराएं थी लेकिन बदलाव के बाद अब भारतीय न्याय संहिता में कुल 357 धाराएं हैं। वहीं, पहले इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 167 धाराएं थीं जिनमें बदलाव के बाद भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं रखी गईं हैं। इसमें 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गईं हैं तो वहीं 6 धाराओं को हटाया भी गया है।
- नए कानूनों के तहत कोई भी नागरिक कहीं से भी जीरो एफआईआर दर्ज करवा सकता है। इसके साथ ही अब पीड़ित ऑनलाइन भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं लेकिन इसके बाद तीन दिन के अंदर थाने जपहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करने होंगे।
- नए कानूनों में शादी का वादा कर धोखा देने वाले मामलों में 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। नस्ल, जाति- समुदाय, लिंग के आधार पर मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास की सजजा और छिनैती के लिए तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। एफआईआर दर्ज करने के होने के बाद 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाकिल करनी होगी। इसके बाद 60 दिनों के अंदर कोर्ट को आरोप भी तय करने होंगे।
- सुनवाई पूरी हो जाने के बाद 30 दिनों के अंदर कोर्ट को अपना फैसला सुनाना होगा।
- मॉब लिंचिंग के मामले को भी भी अब अपराध के दायरें में लाया गया है। इस मामले में 7 साल की सझा से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावदान है।
- गवाह अब ऑडियो और वीडियो के जरिए भी अपना बयान रिकॉर्ड दर्ज करवा सकते हैं और इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कोर्ट में पूरी तरह से मान्य होंगे। इससे गवाह खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे।
- पुलिस ने अगर किसी को हिरासत में लिया है तो उसकी सूचना उसके परिवार को देना बेहद जरूरी होगा।
- पीड़ित को उसके केस से जुड़ी हर जानकारी उसके फोन पर उपलब्ध करवाई जाएगी और इसके लिए 90 दिनों की समय सीमा तय की गई है।
- नए कानूनों के तहत केवल मौत की सजा पाए जाने वाले दोषी ही दया याचिका दाखिल कर सकेत हैं।
- फॉरेंसिक एवीडेंस को भी महत्वता दी गई है और इसे कई मामलों में अनिवार्य किया गया है। केस के दौरान अगर अपराधी भागा हुआ है तो उसकी गैर मौजूदगी में भी केस चलाया जाएगा। इसके साथ ही भगोड़े अपराधियों की संपत्ति जब्त की जाएगी।
- छोटे मोटे अपराधों को जल्दी खत्म करने पर जोर दिया जाएगा।
- राजनीतिक केसों को अब राज्य सरकार की तरफ से एकतरफा बंद नहीं जा सकेगा। इसके लिए अब फरियादी की मंजूरी अहम भूमिका निभाएगी।