Nirjala Ekadashi 2025 Date: कब रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पारण समय और महत्व

22 May, 2025
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Nirjala Ekadashi 2025 Date : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन का व्रत रखने से श्रीहरि का आशीर्वाद बना रहता है। यह एकादशी ने सभी एकादशी में सबसे कठिन मानी जाती है। इसे सबसे पुण्य एकादशी भी कहा जाता है। इस साल यह एकादशी दो दिन की होगी। प्रथम दिन स्मार्त निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा वहीं दूसरे दिन वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी के व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत पारण समय और महत्व।

निर्जला एकादशी 2025 की तिथि

  • ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि निर्जला एकादशी की तिथि को रखा जाता है। 
  • एकादशी तिथि की शुरुआत- 6 जून को रात 02 बजकर 15 मिनट पर होगी। 
  • एकादशी तिथि का समापन- 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा।
  • एकादशी व्रत दो दिन होता है।
  • निर्जला एकादशी का व्रत शुक्रवार 6 जून को रखा जाएगा। 
  • वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत शनिवार 7 जून को रखा जाएगा।
  • इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 32 घंटे 21 मिनट का होगा। 
  • व्रत सूर्योदय से शुरू होगा और पारण के समय तक चल सकता है।

निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय

  • निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय हरि वासर के दिन होगा।
  • स्मार्त व्रत पारण- 7 जून 2025 को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से 4 बजकर 31 मिनट तक।
  • वैष्णव व्रत पारण- 8 जून 2025 को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक।
  • स्मार्त व्रत को सामान्य गृहस्थ और अनुयायी करते हैं।
  • वैष्णव व्रत का वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी पालन करते हैं।

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, कहा जाता है व्यास जी के ने पांडवों में से दूसरे पांडव शक्तिशाली भीम को मोक्ष प्राप्ति के लिए यह व्रत रखने को कहा था। इस व्रत को रखने से सभी पाप से मुक्ति मिलती है और श्रीहरि का आशीर्वाद बना रहता है। जीवन में आ रहे कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है। यह व्रत रखने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि प्राप्त होती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
 
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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