Sawan Somwar 2024: सावन के अंतिम सोमवार को ऐसे करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि

18 Aug, 2024
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Sawan Somwar 2024: श्रावण माह भगवान शिव का प्रिय मास होता है। इस माह में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सावन माह में पड़ने वाले सोमवार का भी बहुत महत्व होता है। इस माह में 5 सोमवार का व्रत रख जाएगा जिनमें चार सोमवार के व्रत पूरे हो चुके हैं अब अंतिम सोमवार का व्रत रखा जाएगा। सावन के सोमवारों को शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है और शिव-पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। सावन के सोमवार के व्रत रखने से भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन के अंतिम सोमवर में ऐसे करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि। 

सावन का अंतिम सोमवार 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त

  • सावन का अंतिम सोमवार व्रत पूर्णिमा पर रखा जाएगा। 
  • पूर्णिमा तिथि की शुरुआत- 19 अगस्त को रात 03 बजकर 44 मिनट पर।
  • पूर्णिमा तिथि का समापन- 19 अगस्त को रात 11 बजकर 55 मिनट पर। 
  • सावन के अंतिम सोमवार का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा। 
  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 25 मिनट से लेकर 05 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।

पूजा विधि

सावन के अंतिम का दिन बेहद खास होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठें स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करें ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। घर और मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें। एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं। इसपर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। दही, दूध, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद बेलपत्र, पान, सुपारी और अक्षत शिव जी को चढ़ाएं। इसके बाद माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें। खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें।

शिव नमस्कार मंत्र

शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

श‍िव नामावली मंत्र

  • श्री शिवाय नम:
  • श्री शंकराय नम:
  • श्री महेश्वराय नम:
  • श्री सांबसदाशिवाय नम:
  • श्री रुद्राय नम:
  • ॐ पार्वतीपतये नम:
  • ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:

शिव आवाहन मंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।

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