UP Assembly Election 2022: उत्तरप्रदेश की बहुत ही महत्वपूर्ण इलाहाबाद शहर की दक्षिणी विधान सभा सीट पर 1989 में भाजपा की विजय पताका लहराई थी। जिसके बाद से साल 2007 तक इस सीट पर कोई भी पार्टी भाजपा को चुनौती नहीं दे सकी। भाजपा के केसरी नाथ त्रिपाठी (Kesari Nath Tripathi) ने न केवल यहां से पांच बार बड़ी जीत दर्ज की बल्कि उन्होंने इस क्षेत्र पर भाजपा के लिए एक अभेद किला भी बनाने का काम किया।
चुनावी समीकरण में आया बदलाव
लेकिन साल 2007 में यह सीट एक लंबे अरसे के बाद बसपा तो साल 2012 में सपा के खाते में चली गयी। दो बार इस सीट से हार झेलने के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नन्द गोपाल गुप्ता ने पार्टी का कमल फिर खिलाया और योगी सरकार में मंत्री बने।
2017 चुनाव में भाजपा का खिला था कमल
UP Election 2022 में इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए भाजपा के नन्द गोपाल गुप्ता (Nand Gopal Gupta) को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। दरअसल, 2007 में भी नन्द गोपाल गुप्ता कैबिनेट मंत्री थे, उसके बावजूद वे 2012 के चुनाव में यह सीट नही बचा सके थे। ऐसे में एकबार फिर नन्द गोपाल गुप्ता कैबिनेट मंत्री हैं, जिसके कारण गुप्ता के लिए इस सीट को बचाने की साख दांव पर हैं। इस बार यहां का मुकाबला भाजपा, सपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय ही होगा। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि कौन सा नेता जनता के जनाधार को पाकर इस सीट का सिकन्दर बन पाता है।
2022 चुनाव में होगी कड़ी टक्कर
हालांकि भाजपा ने 2022 के चुनावों में भी नन्द गोपाल गुप्ता पर भरोसा बनाए रखते हुए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। जिसका कारण वैश्य, ब्राह्मण और पिछड़े वर्ग का बड़े स्तर पर जनाधार पाना बताया जा रहा हैं। दूसरी ओर बसपा ने इस सीट पर ब्राह्मण कार्ड खेला है तो सपा की ओर से यह संभावनाएं जताई जा रही हैं कि वे मुस्लिम प्रत्याशी को इस सीट से उतार सकती हैं।
महंगाई, ट्रैफिक जाम और बेरोजगार मुद्दे पर डाले जाएंगे वोट
वहीं इस बार जिन मुद्दों पर जनता वोट करने वाली है उनमें सबसे मुख्य मुद्दा महंगाई, ट्रैफिक जाम और बेरोजगारी हैं। इसके साथ ही जनता में फर्जी चालानों को लेकर भी काफी गुस्सा है। स्थानीय व्यापारियों ने विधायक की ओर से व्यापार क्षेत्र की तरफ कोई ध्यान नही देने की बात को कहते हुए व्यापार को बढ़ाने और इस क्षेत्र को सशक्त बनाने की बात कही।