World Homeopathy Day 2025: विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिवस होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. सैमुअल हैनिमैन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है और इस दिन के माध्यम से वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली की उपयोगिता, प्रभावशीलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को महत्व को उजागर किया गया है। यह जीवन में स्वास्थ्य और संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। यह दिन वैज्ञानिक, प्राकृतिक और प्रभावी चिकित्सा प्रणाली को पहचान दिलाने के लिए मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, महत्व और थीम।
विश्व होम्योपैथी दिवस का इतिहास
विश्व होम्योपैथी दिवस डॉ. सैमुअल हैनिमैन ने साल 1796 में होम्योपैथी की खोज की थी। उन्हें होम्योपैथी का जनक माना जाता है। डॉ. हैनिमन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को जर्मनी में हुआ था। 18वीं शताब्दी में होम्योपैथी की शुरुआत हुई थी। डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती के दिन वर्ल्ड होम्योपैथी डे मनाया जाता है। भारत में होम्योपैथी चिकित्सा का आगमन 19वीं शताब्दी में हुआ था।
विश्व होम्योपैथी दिवस का महत्व
विश्व होम्योपैथी दिवस का चिकित्सा पद्धति का बहुत महत्व है। यह विश्व होम्योपैथी दिवस का उद्देश्य लोगों को इस चिकित्सा पद्धति के लाभों और वैज्ञानिक आधार के बारे में जानकारी देना है और होम्योपैथी के प्रति जन-जागरूकता फैलाना है। इस दिन के माध्यम से चिकित्सकों को सम्मानित करना है। रिसर्च और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना होता है। कई रोगों के लिए होम्योपैथी काफी उपयोगी सिद्ध हुई है। इससे किसी साइड इफेक्ट के बिना आराम मिल जाता है। यह पुरानी बीमारियों के इलाज में प्रभावी होती है।
विश्व होम्योपैथी दिवस 2025 की थीम
हर साल विश्व होम्योपैथी दिवस की एक विशेष थीम होती है जो उस वर्ष की समस्याओं पर आधारित होती है। विश्व होम्योपैथी दिवस 2025 की थीम 'अध्ययन, अध्यापन, अनुसंधान' (Adhyayan, Adhyaapan, Anusandhaan) है।
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