Falgun Amavasya 2025 Date: फाल्गुन अमावस्या फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन आती है। यह दिन पिंडदान और पितृ तर्पण के लिए बहुत विशेष माना जाता है। इस दिन अच्छी नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य मिलता है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। इस दिन स्नान और दान करना बहुत अच्छा माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
फाल्गुन अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त
- फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या आती है।
- अमावस्या तिथि की शुरुआत- 27 फरवरी सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगी।
- अमावस्या तिथि का समापन- 28 फरवरी सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर होगा।
- फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी 2025 गुरुवार को मनाई जाएगी।
- श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप काल अच्छा माना जाता है।
- कुतुप काल दिन में 11 बजकर 30 मिनट से लेकर 2 बजकर 30 मिनट तक होगा।
- इस समय आप पिंडदान या कोई भोजन पितरों को दे सकते हैं।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
फाल्गुन अमावस्या के दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करता हैं। इससे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितरों की कृपा से उसे संतान सुख, धन, वैभव, सुख, शांति, समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है. वह पितृ दोष से मुक्त हो जाता है। मान्यता है इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
फाल्गुन अमावस्या पूजा विधि
- फाल्गुन अमावस्या पर प्रातःकाल उठें।
- इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना अच्छा माना जाता है।
- यदि ऐसा करना संभव न हो तो आप जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
- घर और मंदिर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इस दिन भगवान गणेश, विष्णु और महादेव की पूजा की जाती है।
- पवित्र नदी के तट पर पूर्वजों के लिए तर्पण करें।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- पूर्वजों का स्मरण करते हुए पीपल के पेड़ की कम से कम सात बार परिक्रमा करें।
- गाय को चारा खिलाएं।
- इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत अच्छा माना जाता है।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।