Farmers Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। रविवार को गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के सम्मान में 'संयुक्त किसान मंच' किसान केसरी दंगल आयोजित किया गया। इस कुश्ती दंगल में करीब 50 महिला पहलवान और पुरूष पहलवान थे। समाचार एजेंसी ANI ने एक ट्वीट में लिखा कि, "गाज़ीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बॉर्डर पर दंगल का आयोजन किया।"
बता दें कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच ये मसला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। सरकार और किसानों के बीच 8वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी। अब दोनों के बीच 15 जनवरी को वार्ता होगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बोला था, "किसान यूनियन और सरकार ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है। मुझे आशा है कि तब कोई समाधान निकलेगा।"
वहीं, यहां के एक पहलवान युधिष्ठिर ने कहा कि, “हम पहले किसान के बेटे हैं, उसके बाद पहलवान हैं. किसानों की लड़ाई में अब हम भी उतर गए हैं। हम सभी पहलवान सरकार के इन काले कानूनों का विरोध करते हैं।” एक महिला पहलवान ने कहा कि, ‘किसानों के समर्थन में हम यहां आए हुए हैं। मैं बीते 3 सालों से कुश्ती कर रही हूं।’
आपको बता दें कि, 07 जनवरी को लगभग 40 किसान संगठन दिल्ली के आसपास के इलाकों में एक बड़ी ट्रैक्टर रैली निकाली। वैसे तो 26 जनवरी को किसानों ने इससे भी बड़ा मार्च निकालने को कहा है। किसान आज सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ट्रैक्टर मार्च किया। उन्होंने अपना रूट तय कर लिया है, जिसकी वजह से कई रास्तों पर ट्रैफिक डायवर्जन किया गया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस ने कहा, "क्या दिल्ली की सीमा पर जमा किसानों को कोरोना से कोई विशेष सुरक्षा हासिल है?" केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।" चीफ जस्टिस ने कहा, "हमें नहीं लगता कि आंदोलन कर रहे लोग कोरोना को लेकर कोई विशेष सावधानी बरत रहे हैं। समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। इस तरह से बड़े पैमाने पर लोगों का जमा होना वैसी ही स्थिति को जन्म दे सकता है, जैसा तबलीगी मरकज में हुआ था। केंद्र सरकार को लोगों के जमा होने के मसले पर दिशा निर्देश जारी खास दिशानिर्देश जारी करना चाहिए।"