Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह तीज सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखती हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। इस दिन महिलाओं के लिए श्रृंगार का बहुत महत्व होता है। इस दिन हरे रंग का बहुत महत्व होता है। महिलाएं हरी रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं। इस दिन हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियाँ पहनना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, प्रेम, आस्था और स्त्री शक्ति का सुंदर मेल है। हरा रंग श्रद्धा और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाता है। जो इस पर्व को और भी विशेष बना देता है। इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं। आइए जानते हैं हरियाली तीज पर क्यों होता है हरे रंग का महत्व।
हरियाली का प्रतीक
हरा रंग प्रकृति सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। हरियाली तीज का समय चारों और हरियाली होती है। सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है। इस कारण खेत खलियान सभी हरे रंग से भरे होते हैं। यह मौसम ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है।
हरा रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक
हरा रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है। हरे रंग को खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। इसलिए महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करके पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
देवी पार्वती और शिव की आराधना
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। यह समय भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। माता पार्वती ने कठोर तप कर शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त किया था।
हरा रंग नारी सौंदर्य और उत्सव का प्रतीक
हरा रंग उत्सव और हर्षोउल्लास का प्रतीक माना जाता है। साथ ही यह रंग महिलाओं के सौंदर्य को निखारता है। हरी चूड़ियाँ महिलाओं की शोभा बढ़ाती हैं और उनकी परंपरागत सजावट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। इसलिए हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं।
डिस्क्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट, लोक मान्यताओं और अन्य माध्यमों से ली गई है। जागरण टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।