Women Leaders in India: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के सम्मान के लिए मनाया जाता है। यह हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं। लेकिन बात करें राजनीति की तो भारतीय महिलाएं इस क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुई हैं। जिन्होंने भारत की आजादी से लेकर विकास तक हर कार्य में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय राजनीति में यह सभी महिलाएं अपनी दूरदर्शिता, निर्णय, न्याय, नेतृत्व की क्षमता और रणनीति के लिए जानी जाती हैं। महिला दिवस के अवसर पर आज हम ऐसी महान राजनीति क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं के बारे में बात करेंगे।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Prime Minister Indira Gandhi)
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की बात की जाए तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र सबसे पहले आता है। इंदिरा गांधी को भारत की सबसे प्रभावशाली प्रधानमंत्री माना जाता है। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बांग्लादेश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल (President Pratibha Patil)
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थीं। वह साल 2007 से साल 2012 तक वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर रहीं। पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल चार बार विधायक, महाराष्ट्र सरकार में उप मंत्री, समाज कल्याण मंत्री, राज्यसभा की उपसभापति और राजस्थान में राज्यपाल रह चुकी हैं।
स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर (Health Minister Rajkumari Amrit Kaur)
स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार में जगह पाने वाली ही पहली महिला थीं। 20 मंत्रियों की कैबिनेट में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। वह उस दौर की सबसे प्रभावशाली महिला मानी जाती थीं। आजाद भारत में एम्स जैसा बड़ा संस्थान बनाने श्रेय राजकुमारी को जाता है। उन्हें पत्रिका टाइम ने 1947 की वुमन ऑफ द ईयर चुना था। राजकुमारी ने भारतीय आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी।
राज्यपाल सरोजिनी नायडू (Governor Sarojini Naidu)
सरोजिनी नायडू कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष थीं उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। वहीं संविधान निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका थी वह महिलाओं के अधिकारों की पक्षधर रही हैं। उन्हें भारत की कोकिला के नाम से भी जाना जाता है। वह भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं उन्हें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।
मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी (Chief Minister Sucheta Kripalani)
भारत की पहली मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी रहीं थी। उन्होंने साल 1963 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली थी और इस पद पर वह 1967 तक रहीं। स्वतंत्रता संग्राम में सुचेता कृपलानी ने अहम भूमिका निभाई थी जिसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। बावजूद इसके वह कभी अंग्रेज़ों के सामने नहीं झुकीं और स्वतंत्रता की लड़ाई का हिस्सा बनी रहीं।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (External Affairs Minister Sushma Swaraj)
विदेश मंत्री के रुप में सुषमा स्वराज ने बहुत अहम कार्य किए। वह भारत की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बनीं। सुषमा स्वराज की भाषा इतनी सभ्य, तार्किक और सौम्या थी कि उनके प्रतिद्वंद्वी भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाते थे। भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने में भी सुषमा स्वराज की अहम भूमिका रही।
भारत की अन्य महिला मुख्यमंत्री
भारत में कई महिला मुख्यमंत्री हैं जो अपने राज्य और देश के लिए शानदार कार्य कर रही हैं। इनमें से कुछ आज भी राजनीति का सक्रिय हिस्सा बनी हुई हैं। राबड़ी देवी (Rabri Devi) बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) जम्मू एवं कश्मीर की 13वीं और इस राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje) राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। जयललिता (J. Jayalalithaa) तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। मायावती (Mayawati) उत्तर प्रदेश की दो बार मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) लगातार तीन बार भारत की राजधानी दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वर्तमान समय में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) हैं उनसे पहले आम आदमी पार्टी की आतिशी मार्लेना (Atishi Marlena) इस पद पर थीं। बात करें पश्चिम बंगाल की तो यहां पर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) मुख्यमंत्री हैं। वह भारत की बड़ी राजनेताओं में से एक हैं।
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)
सोनिया गांधी भारतीय राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण और ताकतवर महिला नेता मानी जाती हैं। सोनिया गांधी को न सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है। वह कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद और 1996 में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने ही पार्टी को मजबूती दी और एक सशक्त नेता बनकर उभरीं।