Mahashivratri 2025 Katha: जानें महाशिवरात्रि की कथा, इतिहास और महत्व

09 Feb, 2025
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Mahashivratri 2025 Katha: महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है। महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था इसलिए यह दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन शिव-गौरी की पूजा करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और घर में सुख शांति का वास होता है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि की कथा और महत्व।

महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव ने वैराग्य जीवन का त्याग किया और गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन को शिव जी के भक्त उत्सव के रूप में मनाते हैं क्योंकि इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। इसलिए इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ और माता-पार्वती की पूजा की जाती है। 
 
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार संसार में 12 ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे इसलिए महाशिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है और शिव जी पूजा की जाती है और जलाभिषेक किया जाता है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं।
 
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच विवाद हो गया कि इनमें से कौन श्रेष्ठ है। इसके बाद एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ और आकाशवाणी हुई कि जो भी इस स्तंभ के आदि और अंत को जान लेगा, वही सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा। इस आकाशवाणी के बाद ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने युगों तक इस स्तंभ के आदि और अंत को जानने की कोशिश की परंतु वह इस अग्नि स्तंभ के न तो आदि को जान सके और न ही अंत को। इसके बाद ब्रह्मा ने अपनी हार स्वीकार की और अग्नि स्तंभ से रहस्य को बताने की विनती शिव जी से की। इसके बाद भगवान शिव ने कहा श्रेष्ठ तो आप दोनों ही हैं, लेकिन मैं आदि और अंत से परे हूं। 

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि का बहुत महत्व होता है। महाशिवरात्रि का दिन शादीशुदा लोगों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन मां पार्वती और शिव जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। व्रत रखने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती हैं। महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं। शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और पूरी रात जागरण कर शिव मंत्रों का जाप करते हैं। यह पर्व आत्मशुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। महाशिवरात्रि हमें भक्ति, ध्यान और शिव के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा देती है, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
 

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