Mahashivratri 2025: फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिव-गौरी की पूजा करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और घर में सुख शांति का वास होता है। क्योंकि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन कुंवारी कन्याओं के व्रत रखने से मनचाहा वर प्राप्त होता है। महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है जानें इसकी विधि और लाभ।
रुद्राभिषेक की विधि
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है। रुद्राभिषेक करने से जीवन की समस्याओं से छुटकारा, पिछले जन्म के पापों से भी मुक्ति और मनोकामना पूरी होती हैं। रुद्राभिषेक करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद भगवान् शिव, पार्वती सहित सभी देवता और नौ ग्रहों मनन किया जाता है। अब रुद्राभिषेक का आरंभ करें। सर्वप्रथम पूर्व दिशा की तरफ मुख करें। गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद भोलेनाथ को पुष्प सहित अन्य चीज़ें अर्पित करें और प्रसाद चढ़ाएं। पूजा करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
रुद्राभिषेक के लाभ
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करने से लाभ मिलता है यह बहुत शुभ माना जाता है। रुद्राभिषेक जल से करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। वहीं दही से रुद्राभिषेक करने से घर या प्रॉपर्टी से जुड़े लाभ मिलते हैं। शहद और घी से रुद्राभिषेक करना बेहद फलदायी माना जाता है ऐसा करने से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है और टाइफाइड या तपेदिक जैसे रोगों से भी निजात मिलता है। रुद्राभिषेक करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है ऐसा तीर्थस्थल पर पवित्र जल से शिव जी का अभिषेक करें। वहीं पुत्र प्राप्ति के लिए गाय के दूध से अभिषेक करें। बुद्धि में वृद्धि के लिए दूध में शक्कर मिलाकर शिव जी का अभिषेक करें। शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए सरसों के तेल से अभिषेक करें।