Sawan 2023: भगवान शिव ने 19 अवतार लिए है। आइए जानते हैं महादेव के इन 19 अवतारों के बारे में विस्तार से
शरभ अवतार में भगवान शंकर का आधा मृग तथा शेष शरभ पक्षी का था। पुराणों में भगवान शिव के इस स्वरूप के बारे में बताया गया है कि आठ पैरों वाला प्राणी, जो शेर से भी शक्तिशाली था। लिंग पुराण में इस अवतार के बारे में बताया गया है। नृसिंह भगवान की क्रोधाग्नि को शांत करने के लिए भगवान शिव ने यह अवतार लिया।
पिप्पलाद का स्मरण करने से शनि की पीड़ा दूर हो जाती है। भगवान शिव के पिप्पलाद अवतार का बहुत महत्व है। भगवान के इसी अवतार के कारण शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक किसी बालक को कष्ट नहीं दे सकता।
भगवान शिव का नंदीश्वर अवतार है। महादेव सभी जीवों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शिलाद मुनि ब्रह्मचारी थे परंतु उन्हें अपना वंश चलाने के लिए एक संतान चाहिए थी उन्होंने भगवान शिव की तपस्या करके मृत्युहीन संतान की कामना की और महादेव ने स्वयं शिलाद के यहां पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। एक बार भूमि जोतते समय शिलाद को भूमि में से एक बालक प्राप्त हुआ बालक का नाम नंदी रखा गया। भगवान शंकर ने नंदी को अपना गणाध्यक्ष बनाया।
भैरव को शिव पुराण में महादेव का पूर्ण रूप बताया गया है। काल भैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया था जिसके कारण वह ब्रह्महत्या के पाप से दोषी हो गए। भैरव काशी में ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई।
गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा भी भगवान शिव का अवतार थे। कहा जाता है कि अश्वत्थामा अमर हैं वह आज के युग में भी धरती पर निवास करते हैं। गुरु द्रोण भगवान शंकर को पुत्र रूप में पाने की लिए तपस्या की थी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें यह वरदान दिया था।
वीरभद्र भगवान शिव की जटा से प्रकट हुए हैं। सती के देह त्याग के बाद भगवान शिव ने अपनी एक जटा उखाड़ी और उसे क्रोध में आकर पर्वत के ऊपर पटक दिया। इस जटा से वीरभ्रद प्रकट हुए। वीरभद्र ने दक्ष का सिर काटकर उसे मृत्युदंड प्रदान किया।
महादेव ने शुचिष्मति के गर्भ से जन्म लिया पितामह ब्रह्मा ने उस बालक को गृहपति नाम दिया था। मुनि विश्वानर और उनकी पत्नी शुचिष्मती ने भगवान शिव की तपस्या कर शिव के सामान बालक प्राप्ति की इच्छा की थी।
सती अनुसूइया के पति महर्षि अत्रि ने तीन पुत्र थे जिसमें रुद्र के अंश से मुनिवर दुर्वासा ने जन्म लिया।
वीर हनुमान भी भगवान शिव का अवतार हैं। हनुमान ने वानर राज केसरी और अंजनी की संतान के रूप में जन्म लिया।
भगवान शंकर के वृषभ अवतार ने विष्णु पुत्रों का संहार किया था।
भगवान शंकर यतिनाथ अवतार में अतिथि बनकर आहुक-आहुका भील दंपत्ति के घर उनकी परीक्षा लेने गए।
इक्ष्वाकु वंशीय श्राद्ध देव की नवमी पीढ़ी में राजा नभग को कृष्ण दर्शन रूपधारी शिवजी ने दर्शन दिए।
इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए भगवान शंकर ने अवधूत अवतार धारण किया।
भगवान शंकर का भिक्षुवर्य अवतार संदेश देता है कि भगवान शिव संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी के जीवन के रक्षक हैं। विदर्भ नरेश सत्यरथ को शत्रुओं ने मार डाला उनकी गर्भवती पत्नी ने शत्रुओं से छिपकर अपने प्राण बचाए। और एक पुत्र को जन्म दिया। रानी जब जल पीने के लिए सरोवर गई तो उसे घड़ियाल ने अपना आहार बना लिया। तब शिवजी की प्रेरणा से एक भिखारिन ने उस बच्चे का पालन-पोषण किया।
पांडु पुत्र अर्जुन की वीरता की परीक्षा लेने के कारण ही भगवान शंकर ने किरात अवतार लिया। अर्जुन ने किरात वेषधारी शिव से युद्ध किया। अर्जुन की वीरता देख भगवान शिव प्रसन्न हो गए और अपने वास्तविक स्वरूप में आकर अपना पाशुपातअस्त्र प्रदान किया।
शिवजी ने माता पार्वती के पिता हिमाचल से सुनटनर्तक वेश में उनका का हाथ मांग था। टराज शिवजी ने इतना सुंदर और मनोहर नृत्य किया कि सभी प्रसन्न हो गए।
माता पार्वती की परीक्षा लेने के लिए शिवजी ब्रह्मचारी का वेष धारण कर उनके पास पहुंचे और शिवजी की निंदा करने लगे। यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं। माता पार्वती का प्रेम और भक्ति देखकर भगवान शिव अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए।
अर्धनारीश्वर अवतार लेकर भगवान ने यह संदेश दिया है कि समाज तथा परिवार में महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही आदर व प्रतिष्ठा मिलनी चाहिए। सृष्टि के संचालन में पुरुष का जितना योगदान है उतना ही स्त्री की भी है।
भगवान शिव ने एक छोटे बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम भक्ति और अमर पद का वरदान प्रदान किया। भगवान ने उपमन्यु को क्षीरसागर के समान एक अनश्वर सागर भी प्रदान किया।