Shardiya Navratri 2024 day 8: नवरात्रि के आठवें दिन होती है मां महागौरी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती

10 Oct, 2024
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Shardiya Navratri 2024 day 8: नवरात्रि के आठवें दिन को अष्टमी भी कहते हैं इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी को वृषारूढ़ा नाम से भी जाना जाता है। मां का वाहन बैल है। मां की चार भुजाएं हैं। दाहिने हाथ में त्रिशूल और दूसरा हाथ अभय मुद्रा में है वहीं बायें हाथ में डमरू है तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में हैं। मां का वर्ण अत्यंत गौरा है। मां श्वेत वस्त्र धारण करे हुए है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और आरती। 

मां महागौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त

  • नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है। 
  • अष्टमी तिथि की शुरुआत- गुरुवार 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर होगी। 
  • अष्टमी तिथि का समापन- शुक्रवार 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर होगी।
  • अष्टमी का व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा 
  • पूजा का शुभ समय- सुबह 6 बजकर 20 मिनट से सुबह 7 बजकर 47 मिनट पर। 
  • अमृत काल का शुभ मुहूर्त- सुबह 9 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक। 

मां महागौरी पूजा विधि

  • नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है। 
  • इस दिन पूरे विधि-विधाने से मां की पूजा की जाती है। 
  • अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।
  • सुबह उठकर पूजा करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर और मंदिर की अच्छी तरह साफ सफाई करें।
  • मंदिर में गंगा जल का छिड़काव करें।
  • इसके बाद एक चौकी लें।
  • चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं। 
  • इसके बाद मां महागौरी की मूर्ति और तस्वीर को स्थापित करें। 
  • मां के समक्ष दीपक चलाएं।
  • इसके बाद मां को फूल अर्पित करें। 
  • मां को रोली, अक्षत और चंदन अर्पित करें। 
  • इसे बाद मां की आरती करें। 

मां महागौरी मंत्र

ॐ देवी महागौर्यै नमः

या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। 
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

मां महागौरी आरती

जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
 
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥

चन्द्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥

भीमा देवी विमला माता।
कौशिक देवी जग विख्यता॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥

सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
 
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

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