Shardiya Navratri 2024 day 9: नवरात्रि के नौवें दिन होती है मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कन्या पूजन मुहूर्त, मंत्र और आरती

11 Oct, 2024
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Shardiya Navratri 2024 day 9: नवरात्रि के नौवें दिन को नवमी कहते हैं। इस दिन पूरे विधि-विधान से मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां की चार भुजाएं हैं, दाहिने हाथ में कमल पुष्प और ऊपर वाले हाथ में शंख है और बाएं तरफ के नीचे वाले हाथ में गदा और ऊपर वाले हाथ में चक्र है। मां दुर्गा ने लाल वस्त्र धारण किए हैं। मां के पास अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कन्या पूजन मुहूर्त, मंत्र और आरती।

मां सिद्धिदात्री की पूजा का शुभ मुहूर्त

  • शारदीय नवरात्रि को महानवमी कहते हैं। 
  • इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। 
  • नवमी तिथि की शुरुआत- शुक्रवार 11 अक्टूबर 2024 सुबह 6 बजकर 52 मिनट से होगी। 
  • नवमी तिथि का समापन- शनिवार 12 अक्टूबर 2024 सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर होगी। 
  • महानवमी 12 अक्टूबर को मनाई जाएगी परंतु तथि क्षय के कारण कन्या पूजन अष्टमी तिथि को कर सकते हैं।

कन्या पूजन मुहूर्त

  • अष्टमी और नवमी का कन्या पूजन एक दिन ही होगा। 
  • शुभ मुहूर्त- 10 अक्टूबर सुबह 9 बजकर 14 मिनट से सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक।
  • संधि पूजा मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक।
  • मां सिद्धिदात्री का संध्या पूजन मुहूर्त- 11 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 11 मिनट से 6 बजकर 7 मिनट पर।

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि

  • नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। 
  • इस दिन पूरे विधि-विधान से मां की पूजा की जाती है। 
  • नवमी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।
  • सुबह उठकर पूजा करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर और मंदिर की अच्छी तरह साफ सफाई करें।
  • मंदिर में गंगा जल का छिड़काव करें।
  • इसके बाद एक चौकी लें।
  • चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं। 
  • इसके बाद मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। 
  • मां के समक्ष दीपक चलाएं।
  • इसके बाद मां को पुष्प अर्पित करें। 
  • मां को मोली, रोली और कुमकुम अर्पित करें। 
  • इसके बाद पूरी, खीर, चने, हलुआ और नारियल का भोग लगाएं।
  • इसे बाद मां की आरती करें।

मां सिद्धिदात्री मंत्र

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री आरती

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

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