Bakrid 2023: ईद पर कुर्बानी देने से पहले जानें इससे जुड़े अहम नियम

28 Jun, 2023
Bakrid 2023: ईद पर कुर्बानी देने से पहले जानें इससे जुड़े अहम नियम

Bakrid 2023: बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है। इस्लाम धर्म में बकरीद का विशेष महत्व है। कुर्बानी अल्लाह की राह में और गरीबों व मज़लूमों की मदद के लिए की जाती है लेकिन आज कल लोग कुर्बानी को शान-ओ-शौकत के लिए करते हैं। जितना महंगा कुर्बानी का जानवर होगा, समाज में शान उतनी ही बढ़ेगी। लेकिन अल्लाह के नज़दीक सच्चे मन से और जो नियम बनाए गए हैं उनके अनुसार कुर्बानी दी जाए तो ही कुर्बानी मान्य है। कुर्बानी देने के लिए कुछ नियम होते हैं आइए विस्तार से जानते हैं उन नियमों के बारे में-

सुन्नत

कुर्बानी हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। 

हलाल कमाई

कुर्बानी के लिए यदि किसी जानवर को खरीद रहे हैं तो वह हलाल, मेहनत और ईमानदारी की कमाई का खरीदना चाहिए।

गरीब व्यक्ति पर फर्ज़ नहीं है कुर्बानी

गरीब लोगों पर कुर्बानी फर्ज़ नहीं है जिसके पास 613 से 614 ग्राम चांदी हो या फिर इतनी चांदी के बराबर रुपया पैसा हो उन्हीं लोगों पर कुर्बानी फर्ज़ है। 

1 तोला सोना और 1 ग्राम चांदी

यदि किसी व्यक्ति के पास 1 तोला सोना और 1 ग्राम चांदी भी है तो, उसपर कुर्बानी फर्ज़ है। 

कुर्बानी का जानवर स्वस्थ हो

जिस जानवर की कुर्बानी दी जा रही है, वह शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। उस जानवर को कोई बीमारी न हो, उसके सींग और कान टूटे न हों। 

जानवर की उम्र एक साल से कम न हो

ध्यान रहे जिस जानवर की कुर्बानी दी जा रही है। उसकी उम्र एक साल से कम नहीं होनी चाहिए।

कर्ज़ न हो

जिस व्यक्ति के ऊपर कर्ज़ है, वह कुर्बानी नहीं दे सकता। कर्ज़दार व्यक्ति अगर कुर्बानी देना चाहता है तो पहले कर्ज़ उतारे उसके बाद ही कुर्बानी दे सकता है। 

कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से 

कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। पहला हिस्सा अपने लिए, दूसरा गरीबों के लिए और तीसरा अपने रिश्तेदारों के लिए रखा जाता है। 

ईद की नमाज़ के बाद कुर्बानी

कुर्बानी करने के लिए पहले ईद की नमाज़ अदा करें, उसके बाद ही कुर्बानी करें। 

डिस्क्लेमर- इस लेख को इंटरनेट पर दी गई जानकारी और अन्य जानकारों से पूछकर लिखा है।

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