Ganesh Chaturthi 2023: पुराणों में तुलसी को बहुत ही पवित्र माना गया है। भगवान को चढ़ाए गए भोग में तुलसी जी के पत्ते को रखना अनिवार्य और शुभ माना जाता है। लेकिन गणेश जी के भोग में तुलसी नहीं रखते हैं। क्योंकि एक बार गणेश जी तुलसी से रुष्ट हो गए थे और उन्होंने तुलसी को श्राप दे दिया था। आइए जानते हैं कि गणेश जी ने आखिर क्यों दिया था तुलसी को श्राप और क्यों नहीं चढ़ाते श्री गणेश के भोग में तुलसी।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि गणेश जी गंगा के किनारे तपस्या में लीन थे। वह रत्न जड़ित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के अनेक सुन्दर आभूषण और मालाऐं थी और शरीर के समस्त अंगों पर सुगंधित चंदन लगा हुआ था। उनकी कमर में अत्यन्त कोमल रेशम का लाल पीताम्बर लिपटा हुआ था। तभी धर्मात्मज की कन्या तुलसी की नज़र तपस्या कर रहे गणेश जी पर पड़ी। तुलसी अपने विवाह की इच्छा को लेकर तीर्थ यात्रा पर निकली थी। जब देवी तुलसी गंगा के तट पर पहुंची वह भगवान गणेश के इस रुप को देखकर उनपर मोहित हो गईं।
देवी तुलसी ने गंगा किनारे तपस्या कर रहे गणेश जी को देखा तो उनपर मोहित हो गई और उनके मन में गणेश जी से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हो गई। देवी तुलसी के कारण गणेश जी की तपस्या भंग हो गई। देवी तुलसी ने गणेश जी से विवाह करने की इच्छा प्रकट की तो गणेश जी ने उनके विवाह का प्रस्ताव ठुकराते हुए खुद को ब्रह्मचारी बताया। देवी तुलसी इस बात से नाराज़ हो गईं और गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे।
जब तुलसी ने गणेश जी को दो विवाह का श्राप दिया तो गणेश जी ने भी तुलसी को श्राप दिया कि उसका विवाह राक्षस से होगा। जैसे ही गणेश जी ने तुलसी को श्राप दिया तो उसने गणेश जी से माफी मांगी। इस पर गणेश जी ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह शंख चूर्ण नामक राक्षस से होगा। गणेश जी ने देवी तुलसी से आगे कहा कि तुम भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की प्रिय रहोगी और कलयुग में जीवन व मोक्ष देने वाली बनोगी परंतु मेरी पूजा में तुलसी रखना अशुभ माना जाएगा।
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