Ganesh Chaturthi 2023: गणेश जी को कई नामों से जाना जाता है। उनका एक नाम ‘एकदंत’ भी है। क्या आपको पता है कि गणेश जी को एकदंत क्यों कहते हैं। इसके पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं आइए जानते हैं इन कथाओं के बारे में।
गणेश जी के दांत के बारे में एक कथा प्रचलित है कि उन्होंने अपने दांत से महाभारत लिखी थी क्योंकि उन्हें महाभारत की कथा लिखने के लिए लेखनी की ज़रुरत थी। इसलिए उन्होंने अपना दांत तोड़कर महाभारत कथा लिखी।
एक बार कुमार कार्तिकेय ग्रंथ लिख रख रहे थे और गणेश जी उनके कार्य में विघ्न डाल रहे थे। कुमार कार्तिकेय ने क्रोधित होकर गणेश जी का दांत तोड़ दिया। भगवान शिव ने कार्तिकेय को समझाकर गणेश जी का दांत उन्हें वापस देने के लिए कहा परंतु कार्तिकेय ने दांत वापस करते हुए गणेश जी से कहा कि यदि यह टूटा हुआ दांत अपने से अलग करोगे तो यह दांत तुम्हें भस्म कर देगा। इस शाप को गणेश जी ने स्वीकार किया। तभी से यह दांत हमेशा गणेश जी के हाथ में रहता है।
गणेश जी के एकदंत होने के पीछे एक असुर की कथा भी प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि एक गजमुखासुर नाम का असुर था वह देवताओं और ऋषियों को परेशान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता था। गजमुखासुर किसी भी अस्त्र या शस्त्र ने नहीं मर सकता था। गणेश जी ने स्वयं ही अपना दांत तोड़ दिया ताकि इस असुर को स्वयं ही वश में कर सकें।
गणेश जी के एकदंत होने के पीछे यह मान्यता भी है कि एक बार भगवान परशुराम कार्त्तवीर्य का वध करके कैलाश पर पहुंचे वह भगवान शिव से मिलना चाहते थे परंतु उस समय माता पार्वती और भगवान शिव कक्ष में शयन कर रहे थे। इस कारण गणेश जी ने परशुराम को रोक दिया। इस कारण भगवान परशुराम को क्रोध आ गया और दोनों में विवाद उत्पन्न हो गया ये विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों में युद्ध होने लगा। तभी भगवान परशुराम ने अपने परसे से गणेश जी का दांत काट दिया।
डिस्क्लेमर- इस लेख में उपलब्ध कथाएं इंटरनेट और जानकारों की मदद से ली गई हैं।
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