Kabirdas Jayanti 2025: कबीर दास जयंती की तिथि, महत्व, जीवनी और रचनाएं

09 Jun, 2025
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Kabirdas Jayanti 2025: संत कबीर दास भारत के महान संत, समाज सुधारक और कवि थे। उनके रचनाएं आज के समय में भी प्रसिद्ध और कालजयी है। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को कबीर दास जयंती मनाई जाती है। यह कबीर दास जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल कबीरदास जयंती 10 जून को मनाई जाएगी। इस दिन के माध्यम से उनके विचारों को याद किया जाता है। उनके दोहे और शिक्षाएं याद की जाती है। आइए जानते हैं कबीरदास की महत्वपूर्ण रचनाएं, जीवनी और महत्व।
 
कबीर दास जी का जन्म 15वीं शताब्दी काशी (वाराणसी) में हुआ था। उनका पालन पोषण जुलाहा परिवार में हुआ था। नीरू और नीमा ने उन्हें पाला था। उन्होंने  अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा, पाखंड, ढोंग, जाति और धर्मों पर कटाक्ष किया। उन्होंने जीवनभर हिंदू-मुस्लिम एकता, मानव सेवा और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा दिया। उनका जीवन में सादगी से भरा था और उन्होंने गृहस्थ जीवन व्यतीत किया। संत रामानंद को वह अपना गुरु माना था।

कबीर दास प्रमुख रचनाएं

कबीर दास जी की रचनाएं आज के समय भी काफी प्रसिद्ध है। जो ‘साखी’, ‘दोहे’ और ‘रमैनी’ के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनकी वाणी बीज शब्दों में गूढ़ ज्ञान समेटे हुए होती है, जो सीधे दिल और आत्मा को छूती है। संत कबीर ने समाज में फैले पाखंड पर निशाना साधा था। कहा जाता है कि संत कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे। उनकी शिष्यों ने उनकी रचनाओं का संकलन किया।

कबीर दास जयंती का महत्व

कबीर दास जयंती पर उनकी शिक्षाओं और विचारों को याद किया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को उनके संदेश, विचार और आध्यात्मिक शिक्षाओं से जोड़ना है। उन्होंने अंधविश्वास, जातिवाद और पाखंड का विरोध किया और भक्ति, मानवता और सत्य को सर्वाेपरि माना है। उन्होंने तर्कहीन परंपराओं का कड़ा विरोध किया। संत कबीर दास ने अपने लोकहित के लिए कई उपदेश दिए वह समाज में फैली कुरीतियों और आडंबरो का खुलकर विरोध करते थे जिस कारण उन्हें समस्याओं का सामना भी करना पड़ा।

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