Saraswati Puja 2024: बसंत पंचमी के दिन ऐसे करें मां सरस्वती को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, आरती, ध्यान मंत्र और बीज मंत्र

13 Feb, 2024
Saraswati Puja 2024: बसंत पंचमी के दिन ऐसे करें मां सरस्वती को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, आरती, ध्यान मंत्र और बीज मंत्र

Saraswati Puja 2024: माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। बसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान होकर मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। देवी सरस्वती को ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी माना जाता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन विवाह और किसी अन्य किसी अच्छे कार्य के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन सरस्वती मां की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं मां सरस्वती की पूजा विधि, आरती, ध्यान मंत्र और बीज मंत्र 

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा विधि 

  • बसंत पचंमी के दिन प्रातः काल जल्दी उठें। 
  • सुबह स्नान करने के बाद पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। 
  • बसंत पंचमी के दिन पीले और सफेद रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। 
  • इसके बाद मां की की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराना चाहिए। 
  • स्नान कराने के बाद मां को पीले रंग के वस्त्र पहनाना चाहिए।
  • इसके बाद मां को पीले फूल, पीले रंग की रोली और पीला गुलाल चढ़ाएं। 
  • सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं।
  • इसके बाद अक्षत, धूप, दीप, गंध अर्पित करें।
  • माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। 
  • सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। 
  • खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें। 
  • अंत में अपने द्वारा हुई भूल के लिए क्षमा मांग लें।
  • ध्यान रहे कि सरस्वती मां की पूजा में पीले रंग का बहुत महत्व होता है।

मां सरस्वती का ध्यान मंत्र

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥

मां सरस्वती का बीज मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः। ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः

मां सरस्वती की आरती

ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥


चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय…..


बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय…..


देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय…..


विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय…..


धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय…..


मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय…..


जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय…..


ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय….

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