Saraswati Puja 2024: माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। देवी सरस्वती को ज्ञान और कला की देवी माना जाता है। इस दिन बच्चों के अक्षर ज्ञान की भी शुरुआत कराई जाती है। आपको बता दें कि बसंत पंचमी को मनाने का एक और कारण है मौसम का बदलना। बसंत पंचमी के बाद ठंड कम होने लगती है और बसंत का मौसम दस्तक दे देता है। चारों और हरियाली और फूलों की बाहर छा जाती है।
बसंत पंचमी का त्योहार देवी सरस्वती को समर्पित होता हैं इस दिन पूरे विधि-विधान से देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन देवी सरस्वती हाथ में वीणा, माला और पुस्तक लेकर प्रकट हुईं थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब संसार की रचना की संसार में कोई ध्वनि नहीं थी। तभी ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का तो पृथ्वी में कंपन होने लगा और उस कंपन के साथ देवी सरस्वती प्रकट हुईं। इस संसार में ध्वनि लाने के लिए देवी ने अपने वीणा से राग छेड़ा तभी संसार में वाणी और संगीत उत्पन्न हो गया। देवी सरस्वती को ज्ञान, कला, विद्या और बुद्धी की देवी भी माना जाता है। देवी सरस्वती की पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं और मां का आशीर्वाद मिलता है।
बसंत पंचमी मनाने का एक और महत्वपूर्ण कारण है। मौसम में बदलाव के कारण भी बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। चारों और फूल खिलने लगते हैं और मौसम सुहाना हो जाता है। ठंड कम होने लगती है। ऐसा लगता है कि मानों प्रकृति में रंग भर गए हों। इस दिन कोई भी नया कार्य करना बेहद शुभ माना जाता है।
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