Shardiya Navratri 2023 Day 7: नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। 21 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। मां को शुभंकारी नाम से भी जाना जाता है। मां के तीन नेत्र होते हैं। मां कालरात्रि की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। भय, रोग, भूत प्रेत, अकाल मृत्यु और शोक से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि, आरती, मंत्र और महत्व
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि पूजा मुहूर्त
- सप्तमी तिथि की शुरुआत- 20 अक्टूबर रात 11 बजकर 24 मिनट से
- सप्तमी तिथि का समापन- 21 अक्टूबर की रात 9 बजकर 53 मिनट पर
- त्रिपुष्कर योग- रात 7 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 53 मिनट तक
- इस मुहूर्त में मां कालरात्रि की उपासना की जाती है
मां कालरात्रि पूजा विधि
- सुबह प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- नए अथवा साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- मां कालरात्रि की पूजा में स्लेटी रंग के वस्त्र पहने।
- मां कालरात्रि की तस्वीर पर गुड़हल का फूल अर्पित करें।
- माता को कुमकुम का तिलक लगाएं।
- मां कालरात्रि को गुड़ पसंद है। इसलिए गुड़ या उससे बने पकवान का भोग लगाएं।
- मां को मिष्ठान, पंचमेवा, पांच प्रकार के फल आदि का भोग लगाएं।
- अंत में मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती करें।
- पूजा के अंत में अपनी भूल के लिए माफी मांग लें।
मां कालरात्रि मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .
ॐ कालरात्र्यै नम:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
मां कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥