Shaheed Diwas 2024: 23 मार्च भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस उन वीर क्रांतिकारियों को याद करने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया और हंसते हुए फांसी के फंदे को गले लगा लिया। इस दिन सन 1931 में, तीन महान क्रांतिकारियों भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी लगा दी थी।
23 मार्च को शहीद दिवस के अवसर पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को याद किया जाता है। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। उनके साहस और बलिदान ने लोगों को प्रेरित किया और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। वे भारत के इतिहास में अमर शहीद बन गए और आज भी उन्हें याद किया जाता है और उनका सम्मान किया जाता है।
भगत सिंह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के सदस्य थे, जो एक क्रांतिकारी संगठन था। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। 8 अप्रैल 1929 को, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका। हालांकि यह बम किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि बहरी सरकार को जगाने के लिए फेंका गया था। भगत सिंह और बीके दत्त की इस हिम्मत ने अंग्रेज़ी हुकूमत को हिला कर रख दिया।
भगत सिंह एक लोकप्रिय क्रांतिकारी थे और उनके विचारों का लोगों पर गहरा प्रभाव था। अंग्रेजों को डर था कि अगर भगत सिंह को जेल में रखा गया तो वे लोगों को और भी ज्यादा प्रेरित करेंगे, इसलिए उन्होंने उन्हें फांसी देने का फैसला किया। भगत सिंह ने फांसी की सजा का डटकर सामना किया। भगत सिंह की फांसी ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शहादत ने लोगों को प्रेरित किया और उन्हें स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।